Madhu varma

Add To collaction

लेखनी कविता -पेट और पेटी - बालस्वरूप राही

पेट और पेटी / बालस्वरूप राही


जग बहादुर पेटु इतना,
खाना खाता हाथी जितना।

तोंद हो गई इतनी मोती,
पड़ी पेटियाँ सारी छोटी।

उड़ती चारों ओर हंसी है,
अब मुश्किल में जान फंसी।

या तो अपना पेट घटाए,
या लंबी पेटी मँगवाए।

   0
0 Comments